पानी पीने की सही विधि! सद्गुरु से जानें- ठंडा पानी पीना कितना सही और तांबे के बर्तन में पानी के फायदे
पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी तरल पदार्थ है और ये हमारी जिदंगी का बहुत जरूरी हिस्सा है. पानी शरीर के वेट को लगभग 60-70 प्रतिशत बनाए रखने, बैलेंस को बनाए रखने और तापमान को कंट्रोल करने के साथ ही पाचन में अहम भूमिका निभाता है. पानी का काम पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुंचाने, टॉक्सिंस को बाहर निकालने का काम करता है. इसके अलावा जोड़ों को चिकनाई देने के साथ ही त्वचा को हेल्दी और चमकदार बनाने में भी मदद करता है. यही वजह है कि लोग पानी को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि पानी का सही सेवन क्या है और इसे सही तरीके से कैसे स्टोर किया जाता है.
हाल ही में ईशा फाउंडेशन के एक ब्लॉग पोस्ट में सद्गुरु ने पानी पीने और उसे स्टोर करने का सही तरीका बताया है. तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि क्या आप भी गलत तरीके से पानी पी रहे हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है. चलिए बताते हैं कि सद्गुरु के हिसाब से किस तरह पानी पीना चाहिए और पानी को स्टोर करने का सही तरीका क्या है? ताकि आपको पानी के भरपूर लाभ मिल सके.
क्या कहते हैं सद्गुरु?
सद्गुरु का मानना है कि लोग जिस तरह से पानी पीते हैं उसकी क्वालिटी उनकी एनर्जी, स्वास्थय और आध्यात्मिक स्पष्टता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. पानी को जिस तरह से स्टोर किया जाता उसका असर पानी की जीवन शक्ति पर पड़ता है. ऐसे में पानी को सही तरीके से स्टोर करना और उसे सही तरीके से पीना बहुत जरूरी है. यहां उसके कुछ तरीके बताए गए हैं.
पानी को स्टोर करने का बेस्ट तरीका
सद्गुरु बताते हैं कि, पारंपरिक तौर पर पानी को किसी धातु के बर्तन में स्टोर किया जाता था, जैसे पीतल, तांबा या मिक्स धातु से बनें. अपने ब्लॉग पोस्ट में उन्होंने बताया कि पहले लोग रात में तांबे के बर्तन को थोड़ी सी इमली और हल्दी से धोते थे. उस पर पवित्र राख लगाते थे, फिर उसमें पानी भरते थे और उसके ऊपर एक फूल रखते थे. उसके पास एक दीया जलाते थे और सो जाते थे. अगली सुबह उस पानी को पिया जाता था. इसके अलावा एक्सपर्ट मानते हैं कि गर्मियों में मिट्टी के बर्तन में पानी रखना स्वास्थ के हिसाब से अच्छा होता है. इससे पानी ठंडा भी रहता है और पेट को भी आराम मिलता है.
हेल्थ बेनिफिट्स के लिए पानी कैसे पिएं ?
सद्गुरु कहते हैं कि पानी को आदर और श्रद्धा के साथ ग्रहण करना चाहिए. उनका कहना है, पानी पीने से पहले एक पल कृतज्ञता और सम्मान का भाव रखें, क्योंकि यही वह तत्व है जिससे आपका जीवन बना है. . अपने ब्लॉग पोस्ट में, उन्होंने बताया कि पानी पीने का सबसे अच्छा तरीका अपने हाथों से पीना है. अगर यह संभव न हो और कोई आपको धातु के गिलास में पानी दे, तो उसे हमेशा दोनों हाथों से पकड़कर पिएं.
सही तापमान पर पानी पिएं
सद्गुरु के मुताबिक, योगिक परंपरा में अगर आप अपने अंदर चेंज के रास्ते पर हैं और अपने शरीर को एक नए स्तर की तरफ ले जाना चाहते हैं तो आपको ऐसा पानी पीना चाहिए जिसका तापमान आपके शरीर के तापमान से अधिकतम चार डिग्री तक ही कम या ज्यादा हो. जैसे सामान्य शरीर का तापमान लगभग 37 डिग्री सेल्सियस होता है, इसलिए आपको 33 से 41 डिग्री के बीच का पानी पीना चाहिए. अगर आप छात्र हैं, तो आप 8 डिग्री के अंदर तक का पानी पी सकते हैं, घर संभालने वाली महिलाओं को 12 डिग्री तक के अंदर वाला पानी पीना चाहिए.
सही मात्रा में पिएं पानी
सद्गुरु बताते हैं कि कभी भी अपनी प्यास को मारना नहीं चाहिए. इसलिए जब भी प्यास लगे तो अपनी जरूरत से दस प्रतिशत ज्यादा ही पानी पिएं. यानी कुल मिलाकर कहें तो सद्गुरू बताते हैं कि आपको जिस वक्त भी प्यास लगे तो आपको उसे नजरअंदाज नहीं करना है और 20 मिनट या ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट के अंदर पानी पी लेना है.
पानी से भरपूर चीजें खाएं
पानी पीने के अलावा आपको ऐसे चीजों का सेवन करना चाहिए जिनमें पानी का मात्रा ज्यादा हो. अगर आप फल खा रहे हैं तो ऐसे फल खाएं जिनमें 90 प्रतिशत पानी हो. ऐसी सब्जियां खाएं जिनमें 70 प्रतिशत पानी हो. यानी आपके फूड में कम से कम 70 प्रतिशत पानी की मात्रा होनी जरूरी है. ये आपके शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ ही पाचन को सुधारने, पोषक तत्वों को अब्जॉर्ब करने में हेल्प करेगा और कोशिकीय कार्य को बनाए रखता है. पानी से भरपूर फूड जैसे खीरा, तरबूज, संतरा और हरी पत्तेदार सब्जियां टेंप्रेचर को रेगुलेट करने, टॉक्सिन को बाहर निकालने और एनर्जी को बढ़ाने में मदद करती है.